संदेश

हमारे पूर्वज बहुत अक्लमंद थे। भूल हमसे ही हुई है उनको समझने में

चित्र
 हमारे पूर्वज बहुत अक्लमंद थे। भूल हमसे ही हुई है उनको समझने में हमारे पूर्वज बहुत अक्लमंद थे। भूल हमसे ही हुई है उनको समझने में🌷.  जब किसी की मृत्यु होती थी तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था यही आइसोलेशन था क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है। यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का क्वॉरंटीन बनाया गया ,  जो शव को अग्नि देता था उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे  13 दिन तक उसका खाना पीना, भोजन, बिस्तर, कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे।  तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात, सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था  लेकिन तब भी आप बहुत हँसे थे..... ब्लडी इंडियन  कहकर खूब मजाक बनाया था जब मां बच्चे को जन्म देती है तो जन्म के 11 दिन तक बच्चे व माँ को कोई नही छूता था ताकि जच्चा और बच्चा किसी इंफेक्शन के शिकार ना हों और वह सुरक्षित रहे लेकिन इस परम्परा को पुराने रीति रिवाज, ढकोसला  कह कर त्याग दिया गया।  जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाह...

भक्त के अधीन भगवान: कसाई की कहानी!

चित्र
  एक कसाई था सदना। वह बहुत ईमानदार था, वो भगवान के नाम कीर्तन में मस्त रहता था। यहां तक की मांस को काटते-बेचते हुए भी वह भगवान नाम गुनगुनाता रहता था। एक दिन वह अपनी ही धुन में कहीं जा रहा था, कि उसके पैर से कोई पत्थर टकराया। वह रूक गया, उसने देखा एक काले रंग के गोल पत्थर से उसका पैर टकरा गया है। उसने वह पत्थर उठा लिया व जेब में रख लिया, यह सोच कर कि यह माँस तोलने के काम आयेगा। वापिस आकर उसने वह पत्थर माँस के वजन को तोलने के काम में लगाया। कुछ ही दिनों में उसने समझ लिया कि यह पत्थर कोई साधारण नहीं है। जितना वजन उसको तोलना होता, पत्थर उतने वजन का ही हो जाता है। धीरे-धीरे यह बात फैलने लगी कि सदना कसाई के पास वजन करने वाला पत्थर है, वह जितना चाहता है, पत्थर उतना ही तोल देता है। किसी को एक किलो मांस देना होता तो तराजू में उस पत्थर को एक तरफ डालने पर, दूसरी ओर एक किलो का मांस ही तुलता। अगर किसी को दो किलो चाहिए हो तो वह पत्थर दो किलो के भार जितना भारी हो जाता। इस चमत्कार के कारण उसके यहां लोगों की भीड़ जुटने लगी। भीड़ जुटने के साथ ही सदना की दुकान की बिक्री बढ़ गई। बात एक शुद्ध ब्राह्मण तक ...

रोचक कथा : जब भगवान राम ने भक्त के लिए बनाई रसोई

चित्र
  बहुत साल पहले की बात है। एक आलसी लेकिन भोलाभाला युवक था आनंद। दिन भर कोई काम नहीं करता बस खाता ही रहता और सोए रहता। घर वालों ने कहा चलो जाओ निकलो घर से, कोई काम धाम करते नहीं हो बस पड़े रहते हो। वह घर से निकल कर यूं ही भटकते हुए एक आश्रम पहुंचा। वहां उसने देखा कि एक गुरुजी हैं उनके शिष्य कोई काम नहीं करते बस मंदिर की पूजा करते हैं।   उसने मन में सोचा यह बढिया है कोई काम धाम नहीं बस पूजा ही तो करना है। गुरुजी के पास जाकर पूछा, क्या मैं यहां रह सकता हूं, गुरुजी बोले हां, हां क्यों नहीं?    लेकिन मैं कोई काम नहीं कर सकता हूं    गुरुजी : कोई काम नहीं करना है बस पूजा करना होगी    आनंद : ठीक है वह तो मैं कर लूंगा ...    अब आनंद महाराज आश्रम में रहने लगे। ना कोई काम ना कोई धाम बस सारा दिन खाते रहो और प्रभु मक्ति में भजन गाते रहो।    महीना भर हो गया फिर एक दिन आई एकादशी। उसने रसोई में जाकर देखा खाने की कोई तैयारी नहीं। उसने गुरुजी से पूछा आज खाना नहीं बनेगा क्या    गुरुजी ने कहा नहीं आज तो एकादशी है तुम्हारा भी उपवास है ।...

वीर तेजाजी जीवनी - Biography of Veer Tejaji in Hindi Jivani

चित्र
  वीर तेजाजी महाराज की कथा | Veer Tejaji Maharaj Ki Katha   लोकदेवता वीर कुंवर तेजाजी जाट समुदाय के आराध्य देव हैं. मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा गुजरात और मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से पूजे जाते हैं. किसान अपनी खुशहाली के लिए खेती में हल जोतते समय तेजाजी महाराज की पूजा करता हैं. तेजाजी अपने वचन के लिए सबसे लोकप्रिय देवता हैं. जिन्होंने सर्प देवता को अपने कहे वचन के अनुसार गायों को छुड़ाकर अपनी जान कुर्बान की थी. इस कारण आज भी सर्पदंश होने पर तेजाजी महाराज की मनौती मांगी जाती हैं. उनकी घोड़ी का नाम लीलण एवं पत्नी का नाम पेमल था. वीर तेजाजी महाराज का जीवन परिचय कथा कहानी इतिहास व मेला ज्ञात जानकारी के मुताबिक़ वीर तेजाजी का जन्म 29 फरवरी 1074 (माघ शुक्ल १४, विक्रम संवत् ११३०) को नागौर जिले के खड़नाल ग्राम में हुआ था. इनके पिता का नाम थिरराज तथा माँ का नाम रामकुंवरी था. लोगों में प्रचलित मान्यता के अनुसार इनका विवाह पनेर ग्रामवासी रायमल जी की पुत्री पेमल से हुआ था. कम उम्रः में ही विवाह हो जाने के कारण उन्हें इस बात की जानकारी नही थी. इस राज को तेजाजी से छुपाये जाने के पीछे वजह ...

2021 में शीतला अष्टमी कब है? गोधूलि मुहूर्त में करें शीतला माता की पूजा, पढ़ें ये शीतला अष्टमी की पावन व्रत कथा

चित्र
  Sheetla Ashtami 2021 Kahani, Katha, Story and Puja Subh Muhurat:  शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को है। इसे बसौड़ा पूजा (Basoda Puja) के नाम से भी जानते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, शीतला माता की पूजा हर साल चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की जाती है। इस दिन घरों में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। शीतला अष्टमी के दिन लोग माता शीतला को बासी खाने का भोग लगाते हैं। बाद में इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। शीतला अष्टमी को ऋतु परिवर्तन का संकेत भी माना जाता है। क्योंकि इस दिन के बाद से ग्रीष्म (गर्मी) ऋतु शुरू हो जाती है और गर्मियों में बासी भोजन नहीं खाया जाता है। शीतला अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त- शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त - 06:08 AM से 06:41 PM तक। अवधि - 12 घण्टे 33 मिनट। अष्टमी तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 04, 2021 को 04:12 AM बजे अष्टमी तिथि समाप्त - अप्रैल 05, 2021 को 02:59 AM बजे। शीतला अष्टमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त- 04:24 ए एम, अप्रैल 05 से 05:09 ए एम, अप्रैल 05 तक। अभिजित मुहूर्त- 11:47 ए एम से 12:37 पी एम तक। विजय मुहूर्त-    02:17 पी एम से 03:07...

वरदान है तुलसी, जानिए तुलसी के 8 बड़े फायदे

चित्र
वरदान है तुलसी, जानिए तुलसी के 8 बड़े फायदे  1.यौन संबंधी बीमारी में कारगर पुरुषों में यौन संबंधी बीमारी सामान्य है. ऐसे में तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है. तुलसी बीज का इस्तेमाल यौन-दुर्बलता और नपुंसकता में किया जा सकता है. 2.महिलाओं के पीरियड्स संबंधी समस्याएं महिलाओं में पीरियड्स के दौरान कई तरह की समस्याएं होती हैं. इसकी वजह से वे बहुत परेशान रहती हैं. ऐसे में तुलसी के बीज का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है. पीरियड्स में अनियमितता को दूर करने के लिए तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करना चाहिए 3.सर्दी-जुकाम में इस्तेमाल तुलसी का काढ़ा सर्दी और जुकाम में बहुत कारगर होता है. काढ़ा बनाने के लिए तुलसी पत्ते को पानी में डालकर उसमें काली मिर्च और मिश्री मिलाकर अच्छे से मिला लें और उसका सेवन करें. यह सर्दी में बहुत कारगर होता है. 4.दस्त होने पर अगर आप दस्त से परेशान हैं तो तुलसी के पत्तों के इस्तेमाल से आपको फायदा देगा. तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाकर पीस लें. इसके बाद उसे दिन में 3-4 बार चाटते रहें. ऐसा करने से दस्त रुक जाती है. 5.सांस में बदबू आने पर बहुत लोगों को ...

मोक्षसंन्यासयोग ~ अध्याय अट्ठारह

चित्र
  मोक्षसंन्यासयोग ~ अध्याय अट्ठारह अर्जुन उवाच सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ । त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ৷৷18.1৷৷ भावार्थ : अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्‌! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्व को पृथक्‌-पृथक्‌ जानना चाहता हूँ ৷৷18.1॥ श्रीभगवानुवाच काम्यानां कर्मणा न्यासं सन्न्यासं कवयो विदुः । सर्वकर्मफलत्यागं प्राहुस्त्यागं विचक्षणाः ৷৷18.1৷৷ भावार्थ : श्री भगवान बोले- कितने ही पण्डितजन तो काम्य कर्मों के (स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तुओं की प्राप्ति के लिए तथा रोग-संकटादि की निवृत्ति के लिए जो यज्ञ, दान, तप और उपासना आदि कर्म किए जाते हैं, उनका नाम काम्यकर्म है।) त्याग को संन्यास समझते हैं तथा दूसरे विचारकुशल पुरुष सब कर्मों के फल के त्याग को (ईश्वर की भक्ति, देवताओं का पूजन, माता-पितादि गुरुजनों की सेवा, यज्ञ, दान और तप तथा वर्णाश्रम के अनुसार आजीविका द्वारा गृहस्थ का निर्वाह एवं शरीर संबंधी खान-पान इत्यादि जितने कर्तव्यकर्म हैं, उन सबमें इस लोक और परलोक की सम्पूर्ण कामनाओं के त्याग का नाम सब कर्मों के फल का त्याग है) त्याग कहते हैं ৷৷...