भक्त आलू सिंह: इनकी भक्ति बन गई मिसाल, शब्दों में थी बाबा श्याम की शक्ति

भक्ति के इतिहास में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो काल के मार्ग पर अपने चरणचिह्न छोड़ जाते हैं। ये चिह्न अमिट होते हैं। बाबा श्याम के भक्तों में ऐसा ही एक नाम है - महाराज आलू सिंहजी।
खाटू श्यामजी। बाबा श्याम के संपूर्ण विश्व में असंख्य भक्त हैं। भक्ति के इतिहास में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो काल के मार्ग पर अपने चरणचिह्न छोड़ जाते हैं। ये चिह्न अमिट होते हैं और भक्ति के संसार में इन्हें अनुकरणीय माना जाता है। बाबा श्याम के भक्तों में ऐसा ही एक नाम है - महाराज आलू सिंहजी।
उनका जन्म 1916 में बाबा की नगरी खाटू श्यामजी के एक राजपूत परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम किशन सिंह था। बचपन से ही आलू सिंहजी में भक्ति के संस्कार थे। वे अपने पिताजी के संग बाबा श्याम की सेवा में लीन रहते थे।
आलू सिंहजी का विवाह सवाईमाधोपुर के राजावत परिवार की कन्या से हुआ। उन्हें एक पुत्र पाबूदान की प्राप्ति हुई थी। कुछ समय बाद उनकी पत्नी का देहांत हो गया। तब आलू सिंहजी अपना पूरा समय बाबा श्याम की भक्ति में ही बिताने लगे।
वह अंग्रेजों का शासन था, जब देश और धर्म पर कई अत्याचार हो रहे थे। उस समय आलू सिंहजी ने लोगों में श्याम की भक्ति की वह लहर पैदा की जो आज भक्ति का सागर बन चुकी है। वे बाबा श्याम की धुन में इतने मग्न हो चुके थे कि अजमेर, पुष्कर और अन्य स्थानों से पैदल ही विशेष प्रकार के पुष्प लाते और बाबा का शृंगार करते।
वे कई घंटों तक ध्यान और भक्ति में लीन रहते। वे श्रद्धा के शिखर तक पहुंच चुके थे। ऐसे में कई लोगों को लगा कि आलू सिंहजी का मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है। एक दिन आलू सिंहजी के बड़े भाई नत्थू सिंह को बाबा श्याम ने स्वप्न में दर्शन दिए कि मेरे भक्त आलू सिंह को रेवाड़ी में श्याम बहादुर के पास लेकर आओ।
जब परिजन आलू सिंहजी को श्याम बहादुरजी के पास रेवाड़ी लेकर गए तो वे उन्हें तुरंत पहचान गए। श्याम बहादुरजी भी बाबा के महान भक्त थे। उन्होंने आलू सिंहजी को आशीर्वाद दिया और कहा कि यह बाबा श्याम का अनन्य भक्त है। यह भक्तों के कष्ट दूर करेगा। इसे दुनिया गुरु रूप में पूजेगी। उन्होंने आलू सिंहजी को अपना शिष्य बना लिया।
इसके पश्चात आलू सिंहजी ने देश के कोने-कोने में बाबा श्याम की ज्योति जलाई और श्याम प्रभु के संदेश का प्रचार किया। वे श्याम बगीची से पुष्प आदि लाते और अपने हाथों से स्वयं बाबा का शृंगार करते। वे कहते थे कि श्याम प्रभु के दरबार में जो भी भक्त सच्चे मन से आएगा, उसकी प्रार्थना जरूर सुनी जाएगी।
आलू सिंहजी उच्चकोटि के साधक थे। उनके शब्दों में बाबा श्याम की शक्ति थी। उनका नाम रामकृष्ण परमहंस जैसे भक्तों में शामिल किया जाता है। आज भी लोग जब बाबा के दर्शन करने आते हैं, जयकारे लगाते हैं तो महान भक्त श्याम बहादुरजी और आलू सिंहजी के नाम की चर्चा जरूर करते हैं।
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